When Is Bhai Dooj : भाई दूज (Bhai Dooj) का इतिहास, महत्व और मनाने का कारण !
When Is Bhai Dooj : Wed, 15 Nov, 2023
भाई दूज (Bhai Dooj), हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय समाज के लिए भाई-बहन के प्यार और समर्पण का प्रतीक होता है और यह साल के अन्य पर्वों की तरह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख में, हम आपको भाई दूज का इतिहास, महत्व, और इसे क्यों मनाया जाता है |
भाई दूज (Bhai Dooj) का इतिहास:
भाई दूज (Bhai Dooj), हिन्दू परंपरा के अनुसार, द्वापर युग में श्रीकृष्ण और उनकी बहन यमुना के बीच की गाथा से जुड़ा है। इस कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण एक दिन अपनी बहन यमुना के घर आए थे। उनकी बहन यमुना बहुत खुश थीं और उन्होंने अपने भाई का स्वागत बड़े धूमधाम से किया। उन्होंने अपने भाई के पाँव को व्याघ्र के कदम की तरह धोया और उसका तिलक किया। इस प्रकार, वह भाई-बहन के प्यार का प्रतीक बन गईं। इसी घड़ी को भाई दूज के रूप में मनाने का प्रारंभ किया गया।
दूसरा एक मान्यता अनुसार, भाई दूज का आयोजन द्वापर युग के महाभारत काल में हुआ था। पांडवों के राज्याभिषेक के बाद, उनकी माता कुंती अपने पुत्रों के साथ वनवास जाने का निर्णय लेती हैं। इस समय, उनके भाइयों और बहनों के बीच भावनाओं का अद्वितीय परिपर्ण होता है और उन्होंने एक-दूसरे के साथ अपने भाई-बहन के प्यार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पर्व का आयोजन इस मान्यता के साथ होता है कि पांडवों के पास लौकिक सुख और सफलता हो।
भाई दूज (Bhai Dooj) का महत्व:
भाई दूज, भारतीय समाज में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भाई-बहन के प्यार का उत्कृष्ट स्पर्श करता है और उनके संबंधों को मजबूती से जोड़ता है। इसे भारतीय परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और यह एक परिवार के सदस्यों के बीच भाई-बहन के आपसी रिश्तों की महत्वपूर्ण पर्व है।
- भाई-बहन के प्यार का प्रतीक: भाई दूज (Bhai Dooj), भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के प्यार और समर्पण का प्रतीक है। इसे भाई-बहन के बीच के प्यार और सद्गुणों की महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा के रूप में माना जाता है।
- परिवार में मेल-जोल: भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन, परिवार के सभी सदस्य एक साथ आकर्षित होते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। इससे परिवार में मेल-जोल और खुशी का माहौल बनता है।
- आपसी समर्थन: भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन, भाई-बहन आपसी समर्थन और स्नेह का प्रतीक दिखाते हैं। वे एक-दूसरे के लिए दुआएँ मांगते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों और दुखों को साझा करते हैं।
- परंपरागत अर्थ संरक्षण: भाई दूज (Bhai Dooj) के रूप में परंपरागत भारतीय मूल्यों और धार्मिक आदर्शों का समर्थन करने का मौका होता है। यह एक परंपरागत त्योहार है जो हमारी संस्कृति को जीवंत रखता है।
भाई दूज (Bhai Dooj) की विशेष बातें:
- तिथि और शुभ मुहूर्त: भाई दूज (Bhai Dooj) पूर्णिमा के दूसरे दिन, यानी कि द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे के साथ विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
- तिलक और आरती: भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन, बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और फिर आरती देती हैं। इसके बाद, भाई बहन को उपहार देते हैं।
- भाई के लिए उपहार: इस दिन, बहन अपने भाई को उपहार देती हैं। यह उपहार विभिन्न प्रकार की हो सकते हैं, जैसे कि कृपण, कपड़े, खिलौने, या सोने के आभूषण।
- भाई-बहन का मिलन: भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन, भाई-बहन एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और खुशियों का आनंद लेते हैं। वे खेतों में खेलते हैं, खाना खाते हैं और आपसी सम्मान और स्नेह का अनुभव करते हैं।
भाई दूज (Bhai Dooj) हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भाई-बहन के आपसी समर्पण और प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार के दिन भाई-बहन आपसी समर्थन और स्नेह का प्रतीक दिखाते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं। इसे भारतीय समाज में एक गहरे और सजीव परंपरागत रूप के साथ मनाया जाता है और यह संबंधों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
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